अशून्यशयनव्रत

#अशून्यशयनव्रत- आषाढ कृष्ण द्वितीया के दिन सम्पूर्ण उपवास गायके दूधपर" दूसरा कुछ नहीं | व्रतसमय सूर्योदयसे पहले जागैं | नित्यकर्मसे प्रवृत्त होकर विष्णुसहस्रका जप करैं- रात्रिमें चन्द्रोदय के बाद गणपतिका स्मरण करकें-" चाँदीका नन्हा पलंग बनवाकर उस पलंग पर विष्णु तथा लक्ष्मीकी चाँदीकी प्रतिमाका पूजन करैं | क्लीं लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः इस मंत्रसे चंदन,कुमकुम,जौ ,करेनका पुष्प ,गुगलकी अगरबत्ती, घीका दीपक ,मिश्री का नैवेद्य समर्पित करैं | इसमंत्रकी १ माला करैं- #क्लीं_पत्नी_भर्तुर्वियोगं_च_भर्ताभार्यासमुद्भवम् | #नाप्नुवन्ति_यथा_दुःखं_दंपत्यानि_तथा_कुरु || रात्रिमें चन्द्रोदय होनेपर जल,चन्दन,जौ,पुष्प मिश्रित जलसे चन्द्रमाको अर्घ्य दै- उपर कहैं हुए मंत्रसे-" क्लीं पत्नी भर्तु००० तथा कुरु| चन्द्रमसे नमः अर्घ्यं समर्पयामि | ऐसे चार मासकी कृष्ण द्वितीया को व्रत रखें | चौथे मासकी अंतिम कृष्ण द्वितीया को शैयापर लक्ष्मीनारायणका यथेष्ट पूजनकर स्त्री-पुरुषके एक-एक जोड वस्त्र तथा शैया सहित लक्ष्मीनारायणकी प्रतिमा पवित्र ब्राह्मणको दानमें दै दे | इस व्रतके प्रभावसे दांपत्य जीवनमें आनेवाली दूरियाँ तथा वियोग दूर होकर अक्षय्य प्रसन्न पुत्रधन आदि युक्त दांपत्य जीवन बनता हैं |
व्रतके दिन- सूर्योदय से पहले शैया का त्याग करें,जमीनपर पथारीकर सो जायें.दूपहर शयन न करें, क्रोध तथा असत्यभाषण न करें, पतित आदि अपवित्र व्यक्तिका स्पर्श न हो,यदि स्पर्श हो जाय तो स्नान करें,सिरपर तथा शरीरपर तैल न मलें,साबून से स्नान न करें,किसी भी का अन्न- जल ग्रहण न करें, यथाशक्ति उपरोक्त मंत्रका जप करें,टी.वी चैनल न दैखें.प्यास लगनेपर गूँटभर ही पानी पीएँ ज्यादा पानी पीया करने से भी किसी भी व्रतका भंग होता हैं |
ॐस्वस्ति|| पु ह शास्त्री.उमरेठ||

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