पुत्र प्राप्ति का पद्मपुराण सुचित मार्ग
#पद्मपुराण के सृष्टि-खंड में भीष्मको #पुलस्त्य_ऋषि कहतें हैं कि --> #दुर्गाया_दर्शनं_पुण्यं_दर्शनादभिवंदनम् | #वंदनात्स्पर्शनं_श्रेष्ठं_स्पर्शनादपि_पूजनम् ||
अर्थात् दुर्गा-देवी के दर्शन से पुण्य,दर्शन से अधिक नमस्कार करने में, नमस्कार करने से अधिक स्पर्श=(देवीमय बनकर न्यास)करनेमें, और न्यास से अधिक पूजन का पुण्य प्राप्त होता हैं | दर्शन(ध्यान लगाना) पीठों के देवताओं को नमस्कार करना, न्यास करना और पूजन करना यह सम्पूर्ण क्रम महापूजा में अनिवार्य ही हैं | #कृत्वोपवासो_विधिवत्स_भोगी_पुत्रवान्भवेत् | #उत्तरेह्ययने_यस्तु_सोपवासोऽर्चतेंऽबिकाम् | #बहुपुत्रो_बहुधनः_स_नरः_कीर्तिमान्भवेत् ||
पुत्रकी कामना से--- उत्तरायन में जब सूर्य की संक्रांति हो वही पुण्यकाल के दिन उपवास रखकर दुर्गा-देवी का विधिवत् यजन करने से वह मनुष्य बहुपुत्र,बहुधन और कीर्तिमान होता हैं |
#योऽर्चयेद्विधिवद्_दुर्गा_ग्रहणे_सूर्यचन्द्रयोः | #कृत्वोपवासं_विधिवत्स_भवेत्पुत्रवान्नरः ||
जो मनुष्य सूर्य-चन्द्र के ग्रहण के दिन उपवास रखकर ग्रहणस्पर्श से लेकर ग्रहणमुक्ती पर्यन्त विधिवत् दुर्गा-देवी का अर्चन करता हैं उनको पुत्र प्राप्त होता हैं...
अनुभवमेतत्
ॐस्वस्ति || पु ह शास्त्री, उमरेठ ||
अर्थात् दुर्गा-देवी के दर्शन से पुण्य,दर्शन से अधिक नमस्कार करने में, नमस्कार करने से अधिक स्पर्श=(देवीमय बनकर न्यास)करनेमें, और न्यास से अधिक पूजन का पुण्य प्राप्त होता हैं | दर्शन(ध्यान लगाना) पीठों के देवताओं को नमस्कार करना, न्यास करना और पूजन करना यह सम्पूर्ण क्रम महापूजा में अनिवार्य ही हैं | #कृत्वोपवासो_विधिवत्स_भोगी_पुत्रवान्भवेत् | #उत्तरेह्ययने_यस्तु_सोपवासोऽर्चतेंऽबिकाम् | #बहुपुत्रो_बहुधनः_स_नरः_कीर्तिमान्भवेत् ||
पुत्रकी कामना से--- उत्तरायन में जब सूर्य की संक्रांति हो वही पुण्यकाल के दिन उपवास रखकर दुर्गा-देवी का विधिवत् यजन करने से वह मनुष्य बहुपुत्र,बहुधन और कीर्तिमान होता हैं |
#योऽर्चयेद्विधिवद्_दुर्गा_ग्रहणे_सूर्यचन्द्रयोः | #कृत्वोपवासं_विधिवत्स_भवेत्पुत्रवान्नरः ||
जो मनुष्य सूर्य-चन्द्र के ग्रहण के दिन उपवास रखकर ग्रहणस्पर्श से लेकर ग्रहणमुक्ती पर्यन्त विधिवत् दुर्गा-देवी का अर्चन करता हैं उनको पुत्र प्राप्त होता हैं...
अनुभवमेतत्
ॐस्वस्ति || पु ह शास्त्री, उमरेठ ||
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