विशेष संस्कार
#संस्कार-
#स्त्री_और_पुरुष- को चाहिये कि संस्कार-सम्पन्न बालक की अपेक्षा से प्रसुति के बाद कम से कम बालक के अन्नप्राशन-संस्कार सम्पन्न न हो अथवा जन्म से सातवें महिने तक---- और अधिक से अधिक जबतक बालक, स्तनपान छ़ोडकर पूर्णरूपेण अन्नादि भोज्यपदार्थों ग्राह्य करने में समर्थ हो जाय तबतक पूर्ण-ब्रह्मचर्य पर रहैं- क्योंकि माता के द्वारा स्तनपान से शारिरीक चेतनाओं द्वारा भी संस्कार प्रदत्त हो जातें हैं ||
स्तनपान करातें समय #भगवती_सरस्वती_ही_स्वयं_बालकको
#स्तनपान_करातीं_हैं | ऐसा चिंतन करतें हुए माताएँ स्वयं अपने को भगवती सरस्वती का साम्य रूप ही जानें |
#पुत्रजन्म_विवाहादौ_गुरुदर्शन_एव_च | #पठेच्च_श्रृणुयाच्चैव_द्वितीयं_काण्डमुत्तमम् || बृहद्धर्मे पू०२६/१०||
पुत्रके जन्म पहले गर्भावस्था में विवाह के पूर्व तथा गुरुदर्शन के लिए जाने से पहले #वाल्मिकी_रामायण के द्वितीय काण्ड का पठन कर श्रवण( शुद्ध अंतःकरण से पठन कर स्वयं को सुनाना) मनन और निदिध्यास(आचरण) में लाएँ | शुभमस्तु ||
ॐस्वस्ति || पु ह शास्त्री. उमरेठ ||
#स्त्री_और_पुरुष- को चाहिये कि संस्कार-सम्पन्न बालक की अपेक्षा से प्रसुति के बाद कम से कम बालक के अन्नप्राशन-संस्कार सम्पन्न न हो अथवा जन्म से सातवें महिने तक---- और अधिक से अधिक जबतक बालक, स्तनपान छ़ोडकर पूर्णरूपेण अन्नादि भोज्यपदार्थों ग्राह्य करने में समर्थ हो जाय तबतक पूर्ण-ब्रह्मचर्य पर रहैं- क्योंकि माता के द्वारा स्तनपान से शारिरीक चेतनाओं द्वारा भी संस्कार प्रदत्त हो जातें हैं ||
स्तनपान करातें समय #भगवती_सरस्वती_ही_स्वयं_बालकको
#स्तनपान_करातीं_हैं | ऐसा चिंतन करतें हुए माताएँ स्वयं अपने को भगवती सरस्वती का साम्य रूप ही जानें |
#पुत्रजन्म_विवाहादौ_गुरुदर्शन_एव_च | #पठेच्च_श्रृणुयाच्चैव_द्वितीयं_काण्डमुत्तमम् || बृहद्धर्मे पू०२६/१०||
पुत्रके जन्म पहले गर्भावस्था में विवाह के पूर्व तथा गुरुदर्शन के लिए जाने से पहले #वाल्मिकी_रामायण के द्वितीय काण्ड का पठन कर श्रवण( शुद्ध अंतःकरण से पठन कर स्वयं को सुनाना) मनन और निदिध्यास(आचरण) में लाएँ | शुभमस्तु ||
ॐस्वस्ति || पु ह शास्त्री. उमरेठ ||
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