आर्यवेद शिक्षा

#गर्भसे_शिशु_को_आयुर्वैदिक_शिक्षा_में_अग्रसर
#करकें_संस्कृति_और_आयुर्वेद का रक्षण करें..

वर्तमान समय में आयुर्वैदिक की जगह कुछ मेड़ीकल दवाईयों में अभक्ष्य पदार्थ मिले हुए होतें हैं | आयुर्वैदिक पूर्णतः वैदिक औषधीयों द्वारा  निरामय और दीर्घायु जीवन की कूँजी हैं -- कुछ अभक्ष्य पदार्थ ऐसे भी होते हैं जीसकी मेड़ीकल दवाईयों मे मिलावट हो रही हैं इसके प्रयोग से द्विजो को - प्रायश्चित्त पूर्वक पुनः उपवीत-संस्कार की आवश्यकता बन जाती हैं | ऐसे कोई भी पदार्थ न खायें जिसकी मलिनता की असर से  #जनेऊ_संस्कार ही मलिन हो और #द्विजत्व से भ्रष्ट होना पडे़... जबतक प्रायश्चित्त करकें पुनः उपनयन संस्कार संपूर्ण विधिसे नहीं हो जाते तब तक द्विजत्व से पतित होने के कारण किसी भी वैदिकयज्ञ-याग,पूजा आदि का अधिकार नहीं रहता.... हमें जनेऊ की पवित्रता के साथ द्विजत्व और वैदिक शिक्षा का संरक्षण करना ही होगा...
ऐसे में यदि भविष्य में आयुर्वेदिक उपचार की शिक्षा को बचाएँ रखना हो संरक्षण करना हो तो "गर्भावस्था से ही" कुछ ऐसी प्रमाणित आयुर्वैदिक पुस्तक हो जिसमें सभी औषधीयों की गुण आदि चर्चा रंगीन चित्र के साथ हो उसका औषधी की पहचान आदि विषयों का अध्ययन माता-पिता को (कुछ औषधों के स्वादानुभव के साथ) करना चाहिये ...
गुजराती में एक बड़ा सा चार भागों में "(#वसुंधरा_नी_वनस्पती)" करके ग्रन्थ हैं जिसमें गुजराती,लेटीन,हिन्दी,संस्कृत,मराठी आदि भाषाओं में औषधी के नाम तथा गुण आदि का वर्गीकरण किया हैं... मननीय हैं..

ॐस्वस्ति || #नमश्चंडिकायै !!

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