बालरोग
#बालरोग=--> (१)*वमन* या *अतिसार(दस्त)* में मधु एवं शर्करा मिलाकर कृष्णजीरक(कालीजीरी) का सेवन |
(२) *न्यूमोनीया* में फुलाया हुआ सुहागा छःरती गुनगुने पानी के साथ बीमारी की प्रबलता अनुसार बार-बार देने से भयंकर स्थिति में पहुँचा हुआ रोग भी मिट जाता हैं |
(३) *खाज, फोड़े-फुँसी* असली घी १० तोला, जिंक ऑक्साइड २!! तोला, संगेज राहत २!! तोला, बोरिक एसिड २!! तोला, कपूर खूब महीन पीसा हुआ आधा तोला, हाइड्रोजरी ऑक्साइड-रुबरी छः आना भर -- इन सब चीजों को कपड़े में छानकर घी में मिलाकर मलहम बना ले | नीम की पत्तियाँ उबालकर उस पानी से घाव की जगह को पहले धो-साफकर दवा लगानी चाहिये |
(३) *मूँह में गरमी का घाव* - ग्लिसरीन ४ तोला, टेनिक एसिड १ तोला - दोनों का खरल में खूब घोंटकर एकरस करके शीशी में भर ले | रूई के फाहे से बालक के मुँह में लगाकर उसे गोद में उलटा सुला ले, इससे लार झर जायगी | दो तीन दिन में आराम हो जायगा | दवा दिन में दो-तीन बार लगाये | दवा पेट में चली जानेपर भी हानिकर नहीं हैं |
(४) *दस्त-मरोड*-- तज १ तोला, जायफल ३ तोला, लौंग १!! तोला, इलायची १ तोला, चीनी २५ तोला, खड़िया मिट्टी ११ तोला -- सभी चीजों को महीन कूटकर कपड़छान कर शीशी में भर ले मात्रा ३ से ३० रती तक अवस्थानुसार पानी के साथ दिन-रात में तीन बार |
(५) *बुखार, दस्त, कफ, उलटी, खाँसी, जुकाम* आदि --- पीपल, नागरमोथ, अतिविष, काकड़ासिंगी, -- इन्हें बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण कर ले | मात्रा १ से ३ रती, दिन में २ या ३ बार माता के दूध में या शहद के साथ चटा दे | यह दवा बालकों के लिये "बालवैद्य" का सफल कार्य करती हैं |
(६) *पतले दस्त, उलटी, अजीर्ण, वायु, मन्दाग्नि, निर्बलता और कब्ज* आदि --- जायफल, जावित्री, तज, लौंग, इलायची, अजमोद, सफेदमिर्च, कटभी(करही), वावडिंग, सोया, संचल-नमक, हरड की छाल, चिरायता, सेंका हुआ करंज का बीज, अतिविष, अनार की छाल, पीपलमूल, बाँसकपूर, हीमेज, हीराबोर, खस, लोबान और केसर --- सब को बराबर लेकर महीन चूर्ण करके कपड़छान कर ले | फिर शहद में मिलाकर मूँग के आकार की गोलीयाँ बना ले | बारह महीने के बालक को १ से ४ गोली बड़े बालक को अधिक मात्रा में देनी चाहिये | इससे दूध ठीक पचता हैं, बालक नीरोगी रहता हैं ....
(७) *जीर्ण ज्वर, पेट की शिकायत, रक्तहीनता*--- अभ्रकभस्म १ तोला, माण्डूर भस्म २!! तोला, गिलोय सत्त्व २!! तोला, अतिविष, बाँसकपूर, मिर्च, सोंठ, पीपल, वावडिंग - ये छः चीजे प्रत्येक १ तोला, मुलहठी २!! तोला, सेंके हुए करंज के बीज आधा तोला-- सभी को महीन कूटकर कपड़छान कर ले, तदनन्तर ३० तोले शहद में बराबर मिलाकर शिशियों में भर रखे | मात्रा ३ से १२ रत्तीतक दिन में दो बार -- हृष्टपुष्ट होकर, कान्तिवृद्धि के साथ हड्डियाँ मजबूत होती हैं |
(८) *रोना डरना*-- त्रिफला चूर्ण और पीपल(छोटी) के चूर्ण को मिलाकर शहद में मिलायें और बच्चों को चटायें | इससे रोना, डरना बंद हो जायगा |
(९) *हिचकी*-- कुटकी के चूर्ण शहद में मिलाकर बच्चों को चटायें |
(२) *न्यूमोनीया* में फुलाया हुआ सुहागा छःरती गुनगुने पानी के साथ बीमारी की प्रबलता अनुसार बार-बार देने से भयंकर स्थिति में पहुँचा हुआ रोग भी मिट जाता हैं |
(३) *खाज, फोड़े-फुँसी* असली घी १० तोला, जिंक ऑक्साइड २!! तोला, संगेज राहत २!! तोला, बोरिक एसिड २!! तोला, कपूर खूब महीन पीसा हुआ आधा तोला, हाइड्रोजरी ऑक्साइड-रुबरी छः आना भर -- इन सब चीजों को कपड़े में छानकर घी में मिलाकर मलहम बना ले | नीम की पत्तियाँ उबालकर उस पानी से घाव की जगह को पहले धो-साफकर दवा लगानी चाहिये |
(३) *मूँह में गरमी का घाव* - ग्लिसरीन ४ तोला, टेनिक एसिड १ तोला - दोनों का खरल में खूब घोंटकर एकरस करके शीशी में भर ले | रूई के फाहे से बालक के मुँह में लगाकर उसे गोद में उलटा सुला ले, इससे लार झर जायगी | दो तीन दिन में आराम हो जायगा | दवा दिन में दो-तीन बार लगाये | दवा पेट में चली जानेपर भी हानिकर नहीं हैं |
(४) *दस्त-मरोड*-- तज १ तोला, जायफल ३ तोला, लौंग १!! तोला, इलायची १ तोला, चीनी २५ तोला, खड़िया मिट्टी ११ तोला -- सभी चीजों को महीन कूटकर कपड़छान कर शीशी में भर ले मात्रा ३ से ३० रती तक अवस्थानुसार पानी के साथ दिन-रात में तीन बार |
(५) *बुखार, दस्त, कफ, उलटी, खाँसी, जुकाम* आदि --- पीपल, नागरमोथ, अतिविष, काकड़ासिंगी, -- इन्हें बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण कर ले | मात्रा १ से ३ रती, दिन में २ या ३ बार माता के दूध में या शहद के साथ चटा दे | यह दवा बालकों के लिये "बालवैद्य" का सफल कार्य करती हैं |
(६) *पतले दस्त, उलटी, अजीर्ण, वायु, मन्दाग्नि, निर्बलता और कब्ज* आदि --- जायफल, जावित्री, तज, लौंग, इलायची, अजमोद, सफेदमिर्च, कटभी(करही), वावडिंग, सोया, संचल-नमक, हरड की छाल, चिरायता, सेंका हुआ करंज का बीज, अतिविष, अनार की छाल, पीपलमूल, बाँसकपूर, हीमेज, हीराबोर, खस, लोबान और केसर --- सब को बराबर लेकर महीन चूर्ण करके कपड़छान कर ले | फिर शहद में मिलाकर मूँग के आकार की गोलीयाँ बना ले | बारह महीने के बालक को १ से ४ गोली बड़े बालक को अधिक मात्रा में देनी चाहिये | इससे दूध ठीक पचता हैं, बालक नीरोगी रहता हैं ....
(७) *जीर्ण ज्वर, पेट की शिकायत, रक्तहीनता*--- अभ्रकभस्म १ तोला, माण्डूर भस्म २!! तोला, गिलोय सत्त्व २!! तोला, अतिविष, बाँसकपूर, मिर्च, सोंठ, पीपल, वावडिंग - ये छः चीजे प्रत्येक १ तोला, मुलहठी २!! तोला, सेंके हुए करंज के बीज आधा तोला-- सभी को महीन कूटकर कपड़छान कर ले, तदनन्तर ३० तोले शहद में बराबर मिलाकर शिशियों में भर रखे | मात्रा ३ से १२ रत्तीतक दिन में दो बार -- हृष्टपुष्ट होकर, कान्तिवृद्धि के साथ हड्डियाँ मजबूत होती हैं |
(८) *रोना डरना*-- त्रिफला चूर्ण और पीपल(छोटी) के चूर्ण को मिलाकर शहद में मिलायें और बच्चों को चटायें | इससे रोना, डरना बंद हो जायगा |
(९) *हिचकी*-- कुटकी के चूर्ण शहद में मिलाकर बच्चों को चटायें |
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