सर्वरोगहर_अच्युतानंदगोविंदनामजप_विधिः

#सर्वरोगहर_अच्युतानंदगोविंदनामजप_विधिः। संकल्प - विष्णवे नमः विष्णवे नमः विष्णवे नमः  (अपने स्वयं के लिए "मम" अथवा जिसके लिए जप करना हो उसके नाम के पीछे --- पुरुष हो तो "रुग्णस्य", स्त्री हो तो "रुग्णायाः" पढे) इह जन्मजन्मांतरीय शरीरवाङ्गमनः संभूतनानाविध दुरितोदर्क कर्मविपाक-निदानभूत वातपित्तकफादि , अन्यतमप्रकोपजन्य व्याध्युपशमपूर्वं जीवच्छरीर अविरोधेन सद्यः शरीरे आरोग्यावाप्त्यर्थं समस्त दुस्तर व्याधि संघध्वंसक्षमस्य अच्युतानंतगोविंद इति श्री मद्भगवतोनामत्रयस्य अद्यप्रभृति (जप ब्राह्मण द्वारा करवाना हो तो "ब्राह्मणद्वारा" स्वयं करना चाहे तो "अहं" पढे) लक्षाऽयुताष्टाधिकसहस्र = ११८००० संख्याकजपाख्यं कर्म करिष्ये। गणेशं अभ्यर्च्य [(अपनी सामर्थ्यतानुसार गणपतिजी का पूजन करे, ब्राह्मण द्वारा जप करवाना हो तो ब्राह्मण का वरण और पूजन करे-- जिस ब्राह्मण की वरण(नियुक्ति) की जाय वही ब्राह्मण जप पूर्ण होनेतक जप करे उसके बदले में अन्य नहीं -- सविशेष यदि यजमान अथवा ब्राह्मण के घर जननमरण-सूतक आजावें तो अनुष्ठान विराम नहीं होगा न ब्राह्मण व यजमान को सूतक लगेगा , यदि यजमान वा ब्राह्मण अपने सूतकीगृह का पका अन्न खाएगा तो सूतक लगेगा, जिस यजमान ने संकल्प किया हो उसकी पत्नी किसी सूतकी के स्पर्श किए हुए अन्नादि से भोजनपचनक्रिया न करे ऐसा करने से सूतक लगेगा अतः अनुष्ठान के प्रारम्भपूर्व ही अपनी भोजन की व्यवस्था निश्चित्त कर ले। यदि यजमान अनुपवीत हो, वैश्य हो ,व्रात्य हो , पतित हो तो उसके घर ब्राह्मण भोजन न करे केवल प्राकृत्तिक फल,गाय ,महिषी का परिक्षण किया हुआ दूध व इसकी सामग्री जिसमें कुछ अन्नादिमिश्र न हुआ हो वे ले सकते हैं - दूध,दही,छाछ,घृत,फल,मठा, कन्द(सूरण) , आदि ले परंतु मुन्यन्न(राजगरा) न ले )]

जप विनियोग - अस्य श्री नामत्रयीमहामंत्रस्य कश्यपात्रिभरद्वाजाऋषयः श्री महाविष्णुर्देवता अनुष्टुप् छंदः सांकल्पिकहेतु सिद्ध्यर्थे न्यासे विनियोगः -
कश्यपात्रिभरद्वाजर्षये नमः शिरसि। अनुष्टुप् छंदसे नमो मुखे। श्री महाविष्णुर्देवतायै नमः हृदये। श्री महाविष्णुप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः --->
अच्युताय अंगुष्ठाभ्यां नमः
अनंताय तर्जनीभ्यां नम:
गोविंदाय नमः मध्यमाभ्यां नमः
अच्युताय नमः अनामिकाभ्यां नमः
अनंताय नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः
गोविंदाय नमः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः
अच्युताय नमः हृदयाय नमः
अनंताय नमः शिरशे नमः
गोविंदाय नमः शिखायै नमः
अच्युताय नमः कवचाय नमः
अनंताय नमः नेत्राभ्यां नमः
गोविंदाय नमः अस्त्राय नमः

ध्यानम् - *समस्तदुरितव्याधि संघध्वंसपटीयसे। अच्युतानंदगोविंदनाम्ने धाम्ने नमो नमः ।।*

जपमंत्रो यथा - #अच्युताय_नमोनंतायनमो_गोविंदाय_नमः

प्रतिदिन न्यूनातिरिक्तं वर्ज्य यथाविभागं  जपसंख्यापरिपूर्णान्ते प्रार्थना --> *अच्युतानंदगोविंद नामोच्चारणभेषजात्। नश्यंति सकलारोगाः सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।।(धन्वंतरि)
प्रतिदिन जप निवेदन करे -
अनेन (अमुक संख्य)जपाख्येन कर्मणा श्रीमहाविष्णुः प्रीयतां न मम- तत् सद् ब्रह्मार्पणमस्तु।।

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